रूपये का एयर फ्लाइंग

दुनिया में तीन तरह के लोग होते  हैं एक वे जो जन्मजात  ईमानदार होते हैं ,एक वो जिनकी फितरत में बेईमानी  है एक तीसरा भी है जो परिस्थिति के अनुरूप संकल्प बदलता  हैं।  कालेधन के खिलाफ अभियान में सबसे ज्यादा बेचैनी  दूसरे नंबर के लोगों में ज्यादा है ये बात अलग है कि ईमानदार बनने की कोशिश में लगे आम आदमी को भी इस दौर में नोटबंदी ने मुश्किलें बढ़ा दी  है। 

 जनधन योजना और उसकी सफलता विफलता पर खूब चर्चा हुई। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर हुई कि ज़ीरो बैलेंस के इन खातों की किश्मत कैसे बदलेगी।  लेकिन नोटबंदी के बाद पिछले एक हफ्ते में इन खातों में 21000 करोड़ रुपया जमा होना एक नयी हलचल की ओर इशारा करती है। जनधन के 25ooo एकाउंट्स की किश्मत कैसे पलटी यह आईटी के लोगों के लिए उत्सुकता का विषय हो सकता है लेकिन पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में इन अकाउंट्स में बढ़ी हलचल ने ब्लैक एंड व्हाइट पर छिड़ी बहस को तेज कर दिया है। चार्टर्ड प्लेन से मंगलावार को नागालैंड के दिमापुर एयरपोर्ट पर  पहुंचा करीब 4 करोड़  रुपया नोटबंदी के बाद अचानक रूपये का एयर फ्लाइंग एक नए साजिश का खुलासा किया है। 

यानी नोट की चोट से आहत कुछ लोगों ने नार्थ ईस्ट के पहाड़ी और आदिवासी लोगों को मिले टैक्स में  छूट को कारगर हथियार बनाने की कोशिश की है। . 
उत्तर पूर्व के राज्यो में नागालैंड ,मणिपुर ,त्रिपुरा ,अरुणाचल प्रदेश ,मिजोरम और असम  के अनुसूचित जनजातियों के इनकम के किसी भी सोर्स पर आयकर की छूट है। ऐसी छूट लद्दाख ,सिक्किम और मेघालय के कुछ जनजातियों को भी मिली हुई है। यानी व्यवस्था में मिली इनकी छूट को कुछ लोगों ने जुगाड़ के रूप में विकसित करने की कोशिश की है। 
 मुश्किल जॉग्राफी हालात में रहने वाले भोले भाले लोगों से संपर्क बढ़ा है तो हर कानून का तोड़ ढूंढने वाले लोगों ने कृषि क्षेत्र में होने वाली आमदनी से लेकर पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ,कड़ी एंड विलेज इंडस्ट्री कुछ शिक्षण संस्थानों को मिली टैक्स की छूट को ढाल बनाने की कोशिशें हो रही है। हालाँकि सरकार ने यह पहले साफ़ कर दिया है कि ऐसे लोगों को कानून के दायरे में लाया जाएगा लेकिन अरबो -खरबो रूपये के ब्लैक मनी को बचाने की छटपटाहट साफ़ नज़र आती है 

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